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ठूंठ सा जीवन हुआ है,तुम रसीले पात दो

ठूंठ सा जीवन हुआ है,तुम रसीले पात दो
--------_----------------------------------आज की प्रतियोगिता वास्ते

चांदनी रातों में फ़िर से तुम मुझे आवाज़ दो,
मम्मी डांट लगाती आती, प्यार भरी वो डांट दो,
तुम बिन दुनिया लगे वीरानी मुझको अपना हाथ दो,
ठूंठ सा जीवन हुआ है तुम रसीले पात दो।

न अरमां हैं न ख़्वाहिश कोई, हर वक्त ख़िज़ा  का मौसम है,
न कोई उमंग है दिल में, हर ओर फ़िज़ाओं मे ग़म है।
ऐसे में आ कर तुम प्रियतम,मुझे प्रेममय साथ दो,
ठूंठ सा जीवन हुआ है, तुम रसीले पात दो।

सुनती हूं फ़िज़ाओं में फ़िर से बसन्त ऋतु आई है,
चारों ओर हैं फूल खिल रहे,पवन बहुत सुखदाई है।
गैंदा,चमेली फूल महकते तुम जीवन मेरा महका दो,
ठूंठ सा जीवन हुआ है, तुम रसीले पात दो।

दिन भर ख़्यालों मे रहते हो, ख़्वाब पर है अधिकार तेरा,
तेरे साथ जो गुज़रा बचपन वो तुम याद दिलाते हो,
गुज़रे दिन की यादों को जीवन्त बना हाथों मे अपना हाथ दो,
ठूंठ सा जीवन हुआ है, तुम रसीले पात दो।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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6 Comments

Gunjan Kamal

05-Jan-2023 08:30 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Raziya bano

05-Jan-2023 01:59 PM

शानदार

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बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन

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